जॉन्डिस रोग (jaundice) जिसे हम हिंदी में पीलिया रोग के नाम से भी जानते हैं। इस बीमारी में ग्रसित व्यक्ति के शरीर के त्वचा से लेकर, नाखून, आंखें तथा पेशाब का रंग गहरा पीला हो जाता है, इसके साथ ही शरीर में अन्य भी लक्षण नजर आते है।
भारत में पीलिया के अधिक मामला नवजात बच्चो में देखा गया है। अगर एक आकड़ा बात करे तो 60 से 70 नवजात शिशु में पीलिया जीवन के पहले सप्ताह के दौरान नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है।
विषय सूची
- पीलिया (jaundice in hindi)
- पीलिया के लक्षण (jaundice symptoms in hindi)
- पीलिया का कारण (jaundice causes in hindi)
- पीलिया के प्रकार (jaundice types in hindi)
- पीलिया के लिए परीक्षण (test for jaundice in hindi)
- नवजात पीलिया (newborn jaundice in hindi)
- पीलिया के लिए आहार (diet for jaundice in hindi)
- घरेलू उपचार पीलिया (Home remedies jaundice in hindi)
- पीलिया के लिए आयुर्वेदिक दवा (ayurvedic medicine for jaundice in hindi)
- Some questions related to jaundice and its answers
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पीलिया क्यों होता है? – Why does Jaundice Happen in Hindi
पीलिया रोग होने का जो मुख्य कारण माना जाता है वह हमारे शरीर में उच्च बिलीरुबिन के स्तर में बढ़ोतरी हो जाना होता है जिसके कारण त्वचा का रंग पीला हो जाता है और आंखों में सफेदी नजर आती है। शरीर में अन्य समस्या को देखा जाये तो शरीर में खुजली भी होती है। शरीर का मल का रंग पीला और मूत्र काला या गहरा पीला होना यह सब हो सकता है।
भारत में पीलिया के अधिक मामले शिशुओं में देखा जाता है, शिशु को पीलिया जन्म के बाद पहले सप्ताह में अधिक होता है, यदि शिशुओं में बिलीरुबिन का स्तर बहुत लंबे समय तक बना रहा, तो शिशु के मस्तिष्क की क्षति भी होती है जिसे कर्निकटरस (kernicterus) के रूप में जाना जाता है।

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पीलिया रोग कैसे होता है? – What causes Jaundice in Hindi
- पीलिया होने पर आप के रक्त में बिलीरुबिन के निर्माण अधिक होने लगता है, जो एक अपशिष्ट पदार्थ के कारण होता है।
- लक्षणों में त्वचा का पीला रंग होना और आंखों का सफेद भाग पीला होना, मूत्र का गहरा पीला होना यह सब पीलिया होने के कारण शरीर में नजर आते है।
- शरीर में पीलिया के कारण त्वचा का पीलापन होना और आंखों का सफेद भाग का पीला होना यह तब होता है जब शरीर में बिलीरुबिन को हमारा लीवर ठीक प्रकार से फिलटर नहीं करता है। यह लीवर में किसी समस्या के कारण हो सकता है।
- बिलीरुबिन एक पीले रंग का अपशिष्ट पदार्थ होता है जो शरीर के ब्लड से आयरन को हटाने के बाद शरीर के रक्तप्रवाह में बना रहता है।
- जब लीवर waste ब्लड को फ़िल्टर करता है तो शरीर में जब बिलीरुबिन liver में पहुंचता है, तो अन्य रसायन जुड़कर एक संयुग्मित बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है जिसे bilirubin कहते है।
- liver पित्त, एक पाचक रस का उत्पादन करता है जो आपस में संयुग्मित बिलीरुबिन पित्त में प्रवेश करता है, फिर यह शरीर को छोड़ देता है। यह इस प्रकार का बिलीरुबिन है जो मल को अपना भूरा रंग देता है।
- अगर बहुत अधिक बिलीरुबिन शरीर में बने लगता है, तो यह आसपास के tissue में leak लगता है। इस चरण की प्रकिया को हम हाइपरबिलिरुबिनमिया के रूप में जाना जाता है, और यह त्वचा और आंखों में पीले रंग का कारण बनता है।
पीलिया कितने प्रकार का होता है? – What is the Type of Jaundice in Hindi
पीलिया के तीन मुख्य प्रकार हैं।
- Hepatocellular jaundice
- Hemolytic jaundice
- Obstructive jaundice
1. हेपाटोसेलुलर पीलिया (Hepatocellular jaundice) – लीवर के रोग के कारण तथा लीवर डैमेज के कारण हेपाटोसेलुलर पीलिया होता है।
2. हेमोलिटिक पीलिया (Hemolytic jaundice) – शरीर में आरबीसी (red blood cells) के हेमोलिसिस (hemolysis) होने के कारण अर्ताथ या लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के कारन शरीर में बिलीरुबिन का उत्पादन बढ़ जाता है। जिसे की Hemolytic jaundice से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है।
3. ऑब्सट्रक्टिव पीलिया (Obstructive jaundice) – पित्त नली (bile duct) में रुकावट के परिणामस्वरूप ऑब्सट्रक्टिव पीलिया होता है। यह बिलीरुबिन को शरीर के लीवर में छोड़ने अवरोध करता है।
पीलिया रोग के लक्षण किस प्रकार नजर आ सकते है – What can be the Symptoms of Jaundice?
- त्वचा का पीला और आंखों का सफेद होना,
- हल्के रंग का मल,
- गहरे रंग का मूत्र, और
- त्वचा की खुजली।
- मतली और उल्टी,
- पेट में दर्द,
- बुखार,
- कमजोरी,
- भूख में कमी,
- सरदर्द,
- उलझन,
- पैरों और पेट की सूजन,
- स्किन में खुजली रहना।
नवजात बच्चो में पीलिया के लक्षण क्या हैं? – What are the Symptoms of Jaundice in Newborns in Hindi
नवजात शिशुओं में, जैसा कि बिलीरुबिन स्तर बढ़ जाता है, पीलिया आमतौर पर सिर से ट्रंक तक बढ़ेगा, और फिर हाथों और पैरों के लिए।
अतिरिक्त लक्षण और लक्षण जो नवजात शिशु में देखे जा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
- सुस्ती,
- मांसपेशियों की टोन में परिवर्तन,
- ऊँची आवाज़ में रोना,
पीलिया का परीक्षण और जांच प्रक्रिया क्या है? – What is the testing and Screening process of jaundice in Hindi
शरीर में पीलिया के होने का कारण निर्धारित करने के लिए जांच की आवश्यकता होती है। पहले डॉक्टर आपके स्वास्थ्य से जुड़े सवाल करेगा और वह आपके आपकी बीमारी का एक विस्तृत इतिहास लेगा और एक शारीरिक परीक्षा करेगा, जो पीलिया का कारण निर्धारित कर सकता है।
- ब्लड टेस्ट
- (CBC)
- लाइपेज स्तर
- यूरिन टेस्ट
प्रारंभिक रक्त परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, रोग के प्रारम्भिक प्रक्रिया के आधार पर रोग के निदान करने हेतु दवा की मदद ली जा सकती है उसके बाद भी अगर जॉन्डिस रोग में कमी नजर अगर नहीं आ रहा होता है तो अन्य टेस्ट भी करवाये जा सकते है जो इस प्रकार है।
- पेट का अल्ट्रासाउंड
- कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन
- चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI)
- कोलेसिंटिग्राफी (HIDA स्कैन)
पीलिया रोग में क्या खाना चाहिए – What to Eat in jaundice in Hindi

jaundice diet
- रोजाना लगभग कम से कम आठ गिलास पानी जरूर पिएं। जिसे की आपके लीवर को विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और रक्त को पतला करता है, जिससे की यह आपके लीवर को फ़िल्टर करने में आसानी होती है।
- आप चाहे तो green tea भी ले सकते हैं।
- पपीता और आम जैसे फलों का सेवन तथा शहद, संतरे के छिलके, अनानास, आम का सेवन कर सकते हैं। यह सभी आपके शरीर के पाचक एंजाइम में बढ़ोतरी करने में मददगार होंगे जिसे की आपके शरीर का बिलीरुबिन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- प्रति दिन कम से कम 2 फल का सेवन जरूर करे। जैसे- grapefruit, avocado, Brussel sprouts, grapes, mustard greens
- ओटमील, बेरीज और बादाम जैसे उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते है। फाइबर शरीर में घुलनशील होता है जिसे की liver को bile को को बाहर निकालने में मदद मिलती है जिसे की शरीर के विषाक्तता आसानी से कम हो सकते है।
पीलिया रोग से बचने के घरेलू उपाय – Home Remedies to avoid jaundice disease in Hindi
- लेमन जूस का सेवन
- टमाटर का रस का सेवन
- आंवला का सेवन
- नीम का रस
- मूली के पत्ते और रस
- ताजा गन्ने का रस
- गोभी और गाजर का रस
- मेथी, गाजर और पालक अन्य सब्जी का सेवन
पीलिया से उबरने में मदद करने वाले योग कौन – कौन से है?
जब व्यक्ति पीलिया रोग से ग्रसित होता है, तो आप को लीवर में पित्त bile के अतिरिक्त स्राव से छुटकारा पाने के लिए आपको इन सभी योग को जरूर करना चाहिए।
- बाधा पद्मासन (Baddha padmasana): यह आसन आप के पेट के अंगों देखभाल खासकर लीवर के कार्य में सुधार करने में लाभदायक होंगे।
- सर्वांगासन (Sarvangasana): सर्वांगासन योग के मदद से आपके लीवर किडनी तथा respiratory system के कार्य प्रणाली को दुरुस्त रखने में मदद करते है।
- मत्स्यासन (Matsyasana): यह आसन न केवल आपके सिर में जन्म का संचार बढ़ाता है, बल्कि आपके पेट के सभी अंगों को भी टोन करता है और विषाक्त पदार्थों को खत्म करता है।
पीलिया के लिए आयुर्वेदिक दवा – Ayurvedic Medicine for jaundice in Hindi

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पीलिया रोग से संबंधित कुछ प्रश्न एवं उसके उत्तर
पीलिया रोग को कैसे ठीक करे? – How to Cure Jaundice?
पहले रोग की पहचान के लिए सही डॉक्टर का चुनाव करके उनके सलाह के अनुसार टेस्ट करवाये, अगर पीलिया रोग से व्यक्ति ग्रसित है तो उसके डाइट प्लान में बदलाव करे और सही प्रकार व नियमित दवाओं का सेवन करे। जॉन्डिस रोग जल्द ठीक हो जायेगा।
पीलिया रोग में किन चीजों परहेज करना चाहिए। – What are the things to be Avoided in Jaundice
निम्न प्रकार के चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- नमक का सेवन कम करना चाहिए।
- जंक फ़ूड से दूरी बनाये।
- मीट के सेवन से बचे।
- तला-भुना, मिर्च-मसाले वाले भोजन आहार का सेवन ना करे।
- शराब का सेवन, पान, तंबाकू, गुटखा आदि का सेवन न करें।
- चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेप्सी, कोला या एनर्जी ड्रिंक को पीने से दूरी बनाये।
क्या पीलिया होने पर लीवर और दिमाग पर असर पड़ता है? – Does having Jaundice Affect the liver and Brain?
उत्तर- हां लीवर तथा दिमाग के कार्य करने की प्रकिया पर असर पड़ता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
हमने आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से पीलिया रोग के बारे में जानकारी दी है। इसके साथ ही हमने आप को पीलिया होने का कारण, पीलिया से पीड़ित व्यक्तियों में आम लक्षण क्या है? पीलिया के घरेलू उपचार तथा तथ्य पर बारे में भी जानकारी दी है।
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धन्यवाद।