टाइप 2 डायबिटीज एक आजीवन बीमारी है जिसे जड़ से खत्म नहीं किया जा  सकता है टाइप 2 डायबिटीज मध्यम वर्ग के आयु लोगो में डायबिटीज होने की संभावना ज्यादातर देखी जाती है। वर्ष 2010 में लगभग 285 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित थे, जबकि 1985 में इनकी संख्या लगभग 30 मिलियन थी। डायबिटीज बच्चों और किशोरों को भी प्रभावित करती है, जिसमें से मुख्य उनका मोटापा सबसे बड़ा कारण होता है।

टाइप 2 डायबिटीज

type 2 diabetes 

टाइप 2 डायबिटीज क्या है? – What is Type 2 Diabetes in Hindi

टाइप 2 मधुमेह की समस्या तब होता है जब आपके अग्न्याशय भाग से पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन सही प्रकार से नहीं होता है। इंसुलिन हार्मोन का कार्य रक्त में शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य होता है। यदि हमारे शरीर में  इंसुलिन को बनाना बंद हो जाये तो शरीर में ब्‍लड ग्‍लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पायेगा जिसे की शरीर में ऊर्जा की कमी होगी जिसके कारण शरीर जल्दी थक जाएगा और हमारे शरीर को ऊर्जावान रहने के लिए शरीर में इंसुलिन का निर्माण होना ज़रूरी है।

टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण – Symptoms of Type 2 Diabetes in Hindi

टाइप 2 मधुमेह के लक्षण इतने हल्के होते हैं जिनका पहचान करना मुश्किल होता है लेकिन इनके कुछ संभावित लक्षण की पहचान की गई है जिससे इनकी पहचान करना संभव है जो निम्न प्रकार से हो सकते हैं।

  1. अधिक भूख का लगना
  2. शरीर का घाव जल्द ठीक ना होना
  3. बार बार पेशाब का होना
  4. शारीरिक अनावश्यक थकान का होना
  5. बार-बार संक्रमण का होना जैसे-सर्दी, जुखाम
  6. सामान्य तौर पर गर्दन के बगल के हिस्सों में दर्द का बने रहना
  7. टाइप 2 मधुमेह आपके हाथों और पैरों की नसों को प्रभावित करते है। 

टाइप 2 डायबिटीज के कारण – Causes of Type 2 Diabetes in Hindi

टाइप 2 डायबिटीज

Causes of type 2 diabetes

डायबिटीज टाइप 2 के जोखिम को बढ़ाने वाले कारण क्या हो सकते हैं वे निम्नलिखित प्रकार से हैं।

  • किसी व्यक्ति का अगर वजन अधिक है तो डायबिटीज टाइप 2 मधुमेह होने का मुख्य कारण हो सकता है।
  • अगर आप जीवन शैली में कम सक्रिय बने रहते हैं तो मधुमेह का खतरा उतना ही अधिक होता है, अगर आप भागदौड़ भरी ज़िन्दगी जीवन का यापन करते हैं तो निश्चित तौर पर आप को डायबिटीज टाइप 2 होने की आशंका कम होती है।
  • डायबिटीज टाइप 2 परिवार में मधुमेह का इतिहास पर भी निर्भर करता है यदि आपके माता पिता या भाई बहन को टाइप टू डायबिटीज हुआ है तो संभवत आपको भी डायबिटीज के समस्या हो सकती है ऐसे में हमारे शरीर का DNA  में हुई त्रुटि के कारण उत्पन्न करता है जिससे यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी हो सकती है।
  • उम्र का प्रभाव भी असर करता है अगर आप 45 साल की उम्र के होते है तो टाइप टू डायबिटीज खतरा बना रहता है क्योंकि 45 वर्ष की आयु के बाद लोगों की शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है जिसे उनके शरीर का वजन भी बढ़ता है जो टाइप टू डायबिटीज यह भी एक कारण हो सकता है। डायबिटीज का प्रभाव छोटे बच्चों में हो सकता है लेकिन यह डायबिटीज शरीर को उतना अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है जितना कि टाइप टू डायबिटीज 45 वर्ष के आयु के बाद प्रभाव डालता है।
  • डायबिटीज ग्रसित गर्भवती महिला अपने गर्भकाल के दौरान शिशु मधुमेह विकसित कर सकती है। टाइप टू डायबिटीज शिशु को भी प्रभावित कर सकता है। अगर महिला अधिक वजन वाले बच्चे का जन्म देती है जिसका वज़न 4 किलोग्राम से अधिक है तो वह बच्चे को डायबिटीज 2 का खतरा बढ़ा सकता है।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर क्या है? – What is the Difference between Type 1 and Type 2 Diabetes in Hindi

मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार का होता है टाइप 1 और टाइप 2 यह दोनों मधुमेह जटिल और पुरानी बीमारियाँ हैं।

टाइप 1  डायबिटीज (Type 1 Diabetes)

टाइप 1 डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है यह शरीर के इंसुलिन पर निर्भर करता है। टाइप 1 डायबिटीज यह शरीर में तब होता है जब आपका शरीर एंटीबॉडी के साथ आपके अग्नाशय (pancreas) को प्रभावित करता है जिससे यह शरीर का अंग प्रभावित होता है जिसके कारण शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है।

टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)

टाइप 2 डायबिटीज पिछ्ले कुछ वर्षों में बच्चों तथा किशोर में भी अधिक देखा गया इस प्रकार डायबिटीज होने के मुख्यतः कारण मोटापा ही होता है क्योकि जब शरीर कम स्तर में इंसुलिन बनाता है तो वह इंसुलिन हमारे शरीर के लिए पर्याप्त नहीं होता है जिसे आपका शरीर उस स्तर के इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है। जिसे आपके शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन का जवाब नहीं दे पाती है तो शरीर में वसा की बढ़ोतरी होने लगती हैं।

टाइप 2 मधुमेह हृदय रोग और स्ट्रोक को भी बढ़ावा देती है।  हमारे शरीर का मोटापा अक्सर इंसुलिन का प्रतिरोध का कारण ही बनती है

टाइप 2 मधुमेह को कम कैसे किया जा सकता है? – How can Type 2 Diabetes be Reduced in Hindi

यदि आपके शरीर का वजन आपके हाइट के अनुसार शरीर भार अधिक है तो आपको अपने शरीर का वजन कम करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर आपके शरीर का बेसिक मेटाबॉलिक रेट अधिक है तो संभवत आपको टाइप टू डायबिटीज होने की संभावना भी अधिक है।

स्वस्थ आहार आप कितना कम खाते हैं यह महत्त्वपूर्ण नहीं यह बात महत्त्वपूर्ण है कि आप क्या खाते हैं मधुमेह की जटिलताओं से बचने के लिए आपको अपने खाने में फाइबर, वसा और नमक पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

शारीरिक गतिविधि अगर आपकी शारीरिक गतिविधि बहुत कम है तो इस बात पर आपको विचार करने की आवश्यकता है आपकी शारीरिक गतिविधि आपकी कोशिकाओं को इंसुलिन का उपयोग करने में मदद करता है जिसे आपकी मांसपेशियों को ग्लूकोस का उपयोग करने में मदद होती है।

बेहतर नींद शरीर के लिए पर्याप्त नींद न लेने से आपको टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा को बढ़ावा दे सकता है।

कुछ अन्य स्थिति भी  टाइप टू डायबिटीज को बढ़ावा दे सकती हैं। जैसे-उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा दिल की बीमारी और डिप्रेशन यह सभी एक डायबिटीज के कारण हो सकते हैं।

टाइप 2 डायबिटीज आयुर्वेदिक मेडिसिन – Type 2 Diabetes Ayurvedic Medicine in Hindi

आयुर्वेदिक प्राचीन पद्धति हैं जो टाइप 2 डायबिटीज एक जटिल व पुरानी बीमारी है। हमारे शरीर के लिए आहार, व्यायाम और जीवन शैली भी सफल उपचार होते है। मधुमेह आजीवन बना रहता है लेकिन कुछ आयुर्वेदिक मेडिसिन के मदद से इसके असर को कम किया जा सकता है।

  • करेला का उपयोग मधुमेह रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में बड़े पैमाने पर उपयोग में लिया जाता है यह हमारे अग्नाशय पैंक्रियास के बीटा कोशिकाओं के कार्यों में सुधार करते हैं जिससे इंसुलिन को बढ़ावा देने में मदद करती है।
  • मेथी के बीज हमारे शरीर के इंसुलिन के प्रतिरोध को कम करने में मदद करते हैं अगर आप मेथी के बीज के अर्क 1 ग्राम सेवन रोजाना करते है तो रक्त में शर्करा के स्तर में काफी अच्छा सुधार करता है।
  • एलोवेरा एक सामान्य पौधा है लेकिन इसके उपयोग के फायदे अनेक है एलोवेरा का उपयोग त्वचा की देखभाल में फायदेमंद होता है तथा टाइप 2 डायबिटीज में कारगर है। अगर आप एलोवेरा जूस का उपयोग करते हैं तो यह मधुमेह की बढ़त को कम करने में सहायक साबित होता है।
  • दालचीनी जो एक पेड़ की छाल से आता है यह भी टाइप 2 डायबिटीज रोग से ग्रसित लोगों में फायदेमंद होता है। दालचीनी के सेवन से अन्य लाभ भी हैं। जैसे-रक्तचाप में सुधार करता है तथा साथ ही मोटापा को भी कम करता है इससे शरीर का पाचन क्रिया भी मजबूत होती है।
  • अदरक एक जड़ी बूटी है जो लोगों ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में अनेक वर्षों से उपयोग में लिया जा रहा है इसका उपयोग मधुमेह के बढ़ोतरी को सामान्य कर सकता है। अदरक के सेवन से शरीर के रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है लेकिन शरीर के इंसुलिन स्तर पर कोई प्रभाव नहीं करता इस वजह से अदरक टाइप 2 मधुमेह के लिए शरीर में इंसुलिन को प्रतिरोध को कम करता है आप चाहे तो अदरक का सेवन किसी भी प्रकार से कर सकते हैं।

नोट- यह सभी आयुर्वेदिक उपाय डायबिटीज के असर को कम करता है ना कि इससे जड़ से खत्म करता है अगर इनमें से किसी भी आयुर्वेदिक उपाय से आपको किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नजर आता है तो आप किसी चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

हमने आपको अपने इस Article के माध्यम से डायबिटीज के बारे में जानकारी दी है। इसके साथ ही हमने आप को डायबिटीज के लक्षण, कारण, डायबिटीज आयुर्वेदिक उपाय तथा डायबिटीज type 1 और type 2 के अंतर के बारे में जानकारी दी है।

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