काली खांसी (Whooping cough) जिसका नाम आप सभी ने सुना ही होगा,  काली खांसी जिसे हम सब कुकुर खांसी के नाम से भी जानते हैं। काली खांसी होने का मुख्य कारण जीवाणुओ का संक्रमण होने से होता है, जो कि आपके नाक और गले को प्रभावित करता है।

यह समस्या ज्यादातर छोटे बच्चों को श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है। काली खांसी को कुकुर खांसी के नाम से इसलिए जाना जाता है, क्योंकि यह बीमारी से पीड़ित व्यक्ति खांसते समय कुत्ते की भौंकने वाली ध्वनि करता है।

काली खांसी होने वाली जीवाणु की बात करें तो यह बोर्डटेला पर्टुसिस नामक जीवाणु से होती है। यह जीवाणु व्यक्तियों के व्यक्तियों के बीच श्वसन क्रिया से निष्कासित बीमारियों से फैलता है।

यह समस्या तब होती है जब श्वसन संक्रमण युक्त व्यक्ति खासते या छीकते हैं। यह संक्रमण युक्त व्यक्तियों के शारीरिक द्रवों से संपर्क में होने से फैलता है। जैसे- नाक से पानी गिरना।

काली खांसी के लक्षण

जीवाणु संक्रमण के 7 से 17 दिनों के बाद काली खांसी के लक्षण पूरी तरह लक्षण विकसित हो जाते हैं

काली खांसी के लक्षण की बात करें, तो यह तीन चरण में विभाजित कर सकते हैं।

 

चरण 1

छींक आना, आंखों से पानी आना, भूख का कम लगना, शरीर में एनर्जी कम महसूस होना।

चरण 2

इस लक्षणों में लगातार खासते रहना जिसकी वजह से आपके गले से कुत्ते की भौंकने की ध्वनि जैसी आवाज निकलना।

चरण 3

काली खांसी से आपको राहत मिलना लगातार खासना कम होना, साथी 4 सप्ताह के अंदर काली खांसी का पूरी तरह से ठीक हो जाना।

काली खांसी के कुछ सामान्य लक्षण

  1. नाक का बहना
  2. आंखें लाल पंडा तथा उन से पानी निकलना
  3. बुखार होना
  4. बलगम आन
  5. उल्टी आना

काली खांसी का खतरा किन कारणों से बढ़ता है?

बचपन में लगाए जाने वाली खांसी के टीके का असर कुछ सालों के बाद खत्म हो जाता है। इसी वजह से बीमारी फैलने के दौरान युवकों में संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ जाता है।

काली खांसी से बचाव

पर्टुसिस का टिका ( वैक्सिंग) काली खांसी से बचने का सबसे बेहतरीन उपाय है। अक्सर डॉक्टर इस टिके के डिप्थेरिया और टिटनेस के टीके के साथ लगाते हैं। टिके वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभाव भी होते हैं। जैसे- बुखार, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, थकान।

काली खांसी के कारण

 

काली खांसी से निदान

शुरुआती चरण में काली खांसी को पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इसके लक्षण आम बीमारी जैसे ही दिखाई देते हैं। जैसे मामूली, जुकाम, फ्लू तथा ब्रोंकाइटिस जैसे होते हैं।

काली खांसी के कारण

रक्त की जांच (Blood test)

अपने ब्लड में डब्ल्यूबीसी (wbc) वह कोशिकाएं जो आपके शरीर को संक्रमण में लडने में सहायता देती है। यह एक आम टेस्ट है जो काली खांसी में किया जाता है।

काली खांसी के कारण

सीने का एक्सरे (Chest X-ray)

आपके फेफड़ों में सूजन और तरल पदार्थों की जांच के लिए डॉक्टर साहब को एक्स-रे करवाने की सलाह देते हैं। डॉक्टर ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि सूजन निमोनिया जैसी गंभीर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।

काली खांसी के कारण

काली खांसी का इलाज

काली खांसी का इलाज पूरी तरीके से संभव है, यदि काली खांसी से बच्चे प्रभावित हुए हैं, तो उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है क्योंकि उस उम्र में उनके लिए काली खाँसी से अत्यंत गंभीर हो सकती है।

इसके अलावा काली खांसी के संक्रमण को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है, जिससे काली खांसी का जीवाणु समाप्त हो सकते है, लेकिन बलगम को कम करने के लिए कोई दवाई अभी तक उपलब्ध नहीं है।

काली खांसी के कारण

इसके अलावा स्वयं की देखभाल करने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें। ज्यदा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें जैसे कि पानी सूप, जूस आदि। हल्का खाना खाए क्योंकि ज्यादा खाना खाने से उल्टी की समस्या भी हो सकती है।

तंबाकू एवं आग के धुंए से दूर रहें क्योंकि इससे खांसी की समस्या बढ़ सकते है, साथ ही संक्रमण को बढ़ने ना दें यदि आपको काली खांसी है, तो आसपास के लोगों को मास्क पहनने की सलाह दें। खांसते समय मुंह को ढक कर रखें और नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें।

इस टीके में पांच प्रकार के इंजेक्शन लगाए जाते हैं जो इस उम्र के बच्चों में लगाए जाते हैं।

  • 2 महीने
  • 4 महीने
  • 6 महीने
  • 15 या 18 महीने
  • 4 से 6 साल

टीके के दुष्प्रभाव

टीके के दुष्प्रभाव सामान्य ही होते हैं, ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं जैसे कि बुखार, सिर दर्द, थकान एवं इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द होना।आमतौर पर युवकों में 11 साल की उम्र के बाद इस टीके का असर खत्म हो जाता है। इस कारण ही डिफ्टेरिया काली खांसी कितने से बचाव के लिए डॉक्टर आपको एक और वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं।

काली खांसी के कारण

वयस्कों को मैं 10 साल में एक बार टिटनेस एवं के डिप्थीरिया से बचने के लिए जो टीका लगाया जाता है, वह काली खांसी में भी उपयोगी होता है। गर्भवती महिलाओं को 27 से 36 हफ्ते के भीतर पर्टुसिस का टीका लगा लेना चाहिए, ऐसा करने से बच्चों के शुरुआत में ही काली खांसी से बचाव किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न

 काली खांसी का तीसरा चरण क्या है?

मुख्य रूप से काली खांसी की शुरुआत तीन चरणों में होती है। काली खांसी का पहला चरण (कैटलर) यानी बहती नाक की अवस्था है। यह मरीज को करीब 1 से 2 सप्ताह तक परेशान कर सकते हैं। काली खांसी का दूसरा चरण पैरॉक्सिस्मल स्टेज है। इसके अलावा काली खांसी का तीसरा चरण जो कि सबसे हानिकारक माना जाता है वह है दिमागी बुखार जो काफी लंबे समय तक रह सकता है।

 काली खांसी के शुरुआती लक्षण क्या है?

इसके शुरुआती लक्षण 1 से 2 सप्ताह तक रह सकते हैं। आमतौर पर इसमें शामिल है, बहती हुई नाक, हल्की बुखार, कभी-कभी खांसी, सांस लेने में तकलीफ होना। यदि आपको ऐसा लक्ष्मण अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य में दिखाई पड़ते हैं, तो शीघ्र ही इसका इलाज करवाएं जरा भी लापरवाही आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।

 काली खांसी कितना गंभीर हो सकता है?

काली खांसी पर्टुसिसबैक्टीरिया के कारण से लेने वाला एक संक्रमण है। जो मुख्य रूप से फेफड़ों और श्वास नलीओं को प्रभावित करता है, यदि इसे बेहद ही खतरनाक खांसी की संज्ञा दी जाए तो बिल्कुल भी गलत ना होगा। यह बच्चों और युवाओं के लिए और भी घातक साबित हो सकते हैं। इसके लक्षण पता चलते ही इसका उपचार जल्द से जल्द करवाना चाहिए।

 काली खांसी वायरस रोग है या बैक्टीरिया?

पर्टुसिस एक सांस से संबंधित बीमारी है जिसे आमतौर पर खांसी के रूप में जाना जाता है। यह एक बेहद ही संक्रमण बीमारी है, जो इस प्रकार के जीवाणुओं से होती है, जिसे बोर्डेटेला पर्टुसिस कहा जाता है। यह बैक्टीरिया बालों के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं। अर्थात यह स्पष्ट होता है कि काली खांसी एक बैक्टीरिया के माध्यम से फैलने वाली बीमारी है।

 क्या एक्स- रे से काली खांसी का पता चलता है?

एक्स-रे एक बेहद ही आम जांच है डॉक्टर आपके फेफड़ों में सूजन या तरल पदार्थ की उपस्थिति की जांच करने के लिए एक्स-रे की सलाह दे सकते हैं। ऐसा तब होता है, जब मरीज को निमोनिया, खांसी तथा सांस से संबंधित समस्या होती है।

 क्या आपको खांसते समय हमेशा कफ निकलता है?

यह लक्षण सर्दियों में होने वाला एक सामान्य सी बात है और शुरू- शुरू में इसे नजरअंदाज भी किया जा सकता है। लेकिन कुछ समय बाद यह गंभीर रूप धारण कर लेता है, ऐसी स्थिति में आपको उल्टी, सिरदर्द या होठों के पास नीले रंग के धब्बे दिखाई दे सकते हैं। इन लक्षणों का पता चलते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

 यह कैसे प्राप्त करें कि आपको काली खांसी है?

काली खांसी के लक्षणों और संकेतों में से एक है, इसकी समस्या आपको सर्दियों के मौसम में शुरू हो जाती है। काली खांसी होने की स्थिति में आपका नाक बहना, हल्की बुखार, थकान तथा समय-समय पर खांसी हो सकता है।

 काली खांसी होने की स्थिति में लोग हाँफते क्यों है?

काली खांसी पर्टुसिस के संक्रमण के माध्यम से फैलती है और यह काफी लंबे समय तक बनी रहती है आपको पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आपकी सांस रुक- रुक कर आती है। जबरदस्ती सांस लेने की स्थिति में लोग हाँफने लगते है।

 क्या रात में काली खांसी मरीजों को अधिक परेशान करती है?

पर्टुसिस यानी की काली खांसी का दूसरा चरण इसमें मरीज को हर 2 घंटे में खांसी होती है। और रात के वक्त या तेजी से फैलता है कभी-कभी खांसी इतनी तेज हो जाती है की मरीज को उल्टी तक हो सकता है।

 क्या काली खांसी अपने आप दूर हो सकती है?

पर्टुसिस अर्थात काली खांसी का संक्रमण जिसका एंटीबायोटिक दवाइयों के साथ इलाज किया जा सकता है, लेकिन यह इसे पूरी तरह ठीक नहीं कर सकता है। एंटीबायोटिक दवाइयों के माध्यम से काली खांसी को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह कुछ दिनों में अपने आप चले जाते हैं।

आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको काली खांसी के कारण के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की है। अगर आप काली खांसी से बचना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा बताए गए उपायों को अपनाएं।

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख आपको पसंद आया होगा। काली-काली संबंधित आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें बताएं। हम आपकी सेवा में सदैव तत्पर हैं।

धन्यवाद।।